कर्ज़ की अदाईगी के बारे में 9 हदीस

अस्सलामु अलैकुम। * कर्ज़ की अदायगी पर 9 हदीस। * कर्ज़ की अदायगी/वापसी को ले कर समाज में कितनी कमज़ोरी और कोताही पाई जाती है यह बयान करने और बताने की ज़रूरत नहीं है। हर कोई इसका मारा हुआ है। पर आपने ईस टॉपिक पर हदीसें बहुत कम पढी/सुनी होंगी। आईये देखते हैं की इस्लाम और अल्लाह के नबी ﷺ क्या कहते हैं। निचे कर्ज़ के ताललुक 9 हदीस दि गई है। यह उन लोगों के लिए है जो कर्ज़ लेकर वापस नही करते या जैसे लिया था वैसे नही देते। यह सब हदीस "मुनतखब अहादीस- मुसलमानों के हुकुक" किताब से लिए गए हैं। 1. हज़रत अबू मूसा अशअरी रसूलुल्लाह ﷺ का इर्शाद नक़ल करते हैं कि कबीरा गुनाहों (शिर्क, जिना वगैरह ) के बाद जिनसे अल्लाह तआला ने सख़्ती से मना फ़रमाया है, सबसे बड़ा गुनाह यह है कि आदमी इस हाल में मरे कि उस पर क़र्ज़ हो और उसने अदाइगी का इन्तज़ाम न किया हो। (अबूदाऊद ) 2. हज़रत अबू हुरैरह रिवायत करते हैं कि रसूलुल्लाह ﷺ ने इर्शाद फ़रमाया : मोमिन की रूह उसके क़र्ज़े की वजह से लटकी रहती है ( राहत व रहमत की उस मंजिल तक नहीं पहुंचती, जिसका नेक लोगों से वादा है) जब तक कि उसका क़र्ज़ा न अदा कर दिया जा...